Pradhan Mantri Garib Kalyan Yojana: प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) उद्देश्य और पात्रता

जब COVID-19 महामारी ने भारत सहित पूरी दुनिया को अपनी चपेट में लिया, तो इसके स्वास्थ्य संकट के साथ-साथ एक बड़ा आर्थिक संकट भी सामने आया। लॉकडाउन और आर्थिक गतिविधियों के रुकने से समाज का सबसे कमजोर वर्ग, यानी गरीब और प्रवासी श्रमिक, सबसे ज्यादा प्रभावित हुए। उनकी रोजी-रोटी छिन गई और उनके सामने भुखमरी का खतरा मंडराने लगा। इस गंभीर स्थिति को देखते हुए, भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) की घोषणा की। यह योजना न केवल एक आर्थिक पैकेज थी, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों के लिए एक जीवनरेखा, एक सुरक्षा कवच बनकर सामने आई।

PMGKY क्या है? एक व्यापक दृष्टिकोण

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (PMGKY) एक व्यापक राहत पैकेज है जिसे मार्च 2020 में भारत सरकार द्वारा COVID-19 महामारी के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए शुरू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश के गरीब, कमजोर और जरूरतमंद लोगों को खाद्य सुरक्षा, आर्थिक सहायता और स्वास्थ्य बीमा प्रदान करना था, ताकि वे महामारी के कठिन समय में भी सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

यह योजना केवल एक कार्यक्रम नहीं थी, बल्कि इसमें कई अलग-अलग घटक शामिल थे, जिन्हें एक साथ लागू किया गया था। इसका लक्ष्य समाज के हर उस वर्ग तक पहुंचना था जो महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था। इस योजना ने सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति भूख से न मरे और आर्थिक तंगी से पीड़ित न हो।

ये भी पढ़े: NBHM: राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन मीठी क्रांति का आगाज, किसानों की आय में वृद्धि और देश में शहद उत्पादन

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के मुख्य घटक

इस योजना की सबसे बड़ी खासियत इसके विभिन्न घटक थे, जिन्होंने अलग-अलग तरीकों से लोगों की मदद की:

1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PM-GKAY)

यह PMGKY का सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय घटक था। यह दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम बन गया।

  • क्या था लाभ? इस योजना के तहत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत आने वाले सभी लाभार्थियों को उनके नियमित मासिक राशन के अलावा, प्रति व्यक्ति 5 किलोग्राम मुफ्त अनाज (गेहूं या चावल) और प्रति परिवार 1 किलोग्राम मुफ्त चना दाल प्रदान की गई।
  • अवधि: इसे मार्च 2020 में शुरू किया गया और कई बार इसका विस्तार किया गया, जो दिसंबर 2023 तक जारी रहा। इस अवधि के दौरान, इसने 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त राशन सुनिश्चित किया।
  • प्रभाव: इस योजना ने गरीब परिवारों को खाद्य सुरक्षा प्रदान की, जिससे उन्हें अपनी आय का एक बड़ा हिस्सा भोजन पर खर्च करने की बजाय अन्य आवश्यक जरूरतों पर खर्च करने में मदद मिली। इसने ग्रामीण और शहरी गरीबों दोनों को बहुत राहत दी।

2. प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण (Direct Cash Transfer)

खाद्य सहायता के साथ-साथ, सरकार ने सीधे बैंक खातों में नकद राशि हस्तांतरित करके लोगों को आर्थिक सहायता भी प्रदान की।

  • महिलाओं के लिए सहायता: प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJDY) के तहत महिला खाताधारकों को तीन महीने के लिए ₹500 प्रति माह की नकद सहायता प्रदान की गई। इसका उद्देश्य महिलाओं को अपनी दैनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए सशक्त बनाना था।
  • वृद्ध, विधवा और विकलांगों के लिए सहायता: तीन महीने के लिए ₹1,000 की अतिरिक्त नकद सहायता सीधे इन लोगों के बैंक खातों में भेजी गई, जिससे उन्हें बुनियादी खर्चों को पूरा करने में मदद मिली।
  • किसानों के लिए सहायता: प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN) योजना के तहत पंजीकृत किसानों को ₹2,000 की पहली किस्त अप्रैल 2020 में ही जारी कर दी गई, ताकि उन्हें अपनी खेती की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिल सके।

3. कोरोना योद्धाओं के लिए बीमा कवर

महामारी के दौरान, डॉक्टर, नर्स, सफाई कर्मचारी और अन्य स्वास्थ्य सेवा कर्मी सबसे आगे थे। उनकी निस्वार्थ सेवा को पहचानते हुए, सरकार ने उनके लिए एक विशेष बीमा योजना शुरू की।

  • लाभ: इस योजना के तहत, COVID-19 से लड़ते हुए अपनी जान गंवाने वाले स्वास्थ्य कर्मियों के परिवार को ₹50 लाख का बीमा कवर प्रदान किया गया।
  • पात्रता: इसमें डॉक्टर, नर्स, आशा कार्यकर्ता, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी और अन्य फ्रंटलाइन स्वास्थ्यकर्मी शामिल थे।

ये भी पढ़े: PM Awas Yojana Gramin Survey: जल्द बनेगा आपका सपनों का घर, पीएम आवास योजना के ग्रामीण के फॉर्म भरना शुरू

4. अन्य राहत उपाय

  • मनरेगा मजदूरी में वृद्धि: महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) के तहत श्रमिकों की दैनिक मजदूरी को ₹182 से बढ़ाकर ₹202 कर दिया गया।
  • ईपीएफ (EPF) संबंधी राहत: अगले तीन महीनों के लिए, केंद्र सरकार ने उन प्रतिष्ठानों के लिए कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का 12% योगदान दिया, जहाँ 100 से कम कर्मचारी हैं और 90% कर्मचारी ₹15,000 से कम कमाते हैं।

योजना की सफलता और प्रभाव

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना ने न केवल संकट के समय में लोगों को सहारा दिया, बल्कि इसके दूरगामी सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिले:

  • खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित: मुफ्त राशन ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी व्यक्ति भूख से न मरे। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में भुखमरी की दर में काफी कमी आई।
  • आर्थिक स्थिरता: नकद हस्तांतरण ने लोगों को आवश्यक वस्तुएं खरीदने में मदद की, जिससे बाजार में तरलता बनी रही और आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह से ठप नहीं हुईं।
  • सामाजिक न्याय: इस योजना ने समाज के सबसे कमजोर वर्गों जैसे- विधवा, बुजुर्ग और दिव्यांगजनों को सीधे मदद पहुंचाई, जिससे सामाजिक असमानता को कम करने में मदद मिली।
  • वैश्विक मान्यता: संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने भी भारत की इस योजना की सराहना की। उनके अनुसार, यह योजना महामारी के दौरान लोगों को गरीबी में जाने से रोकने में बहुत प्रभावी साबित हुई।

चुनौतियाँ और आलोचना

इतने बड़े पैमाने की योजना को लागू करना आसान नहीं था। इसमें कुछ चुनौतियां भी आईं:

  • वितरण में चुनौतियाँ: कुछ जगहों पर मुफ्त राशन के वितरण में देरी या अनियमितताओं की शिकायतें आईं।
  • राजकोषीय बोझ: कुछ अर्थशास्त्रियों ने तर्क दिया कि इस योजना से सरकार पर बहुत बड़ा राजकोषीय बोझ पड़ा। हालांकि, सरकार का कहना था कि लोगों के जीवन की रक्षा करना सबसे बड़ी प्राथमिकता थी।
  • पात्रता का मुद्दा: कुछ लोगों का मानना था कि कुछ जरूरतमंद लोग योजना का लाभ नहीं उठा पाए क्योंकि वे आधिकारिक सूचियों में शामिल नहीं थे।

निष्कर्ष

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण और सफल पहल थी, जिसने COVID-19 महामारी के दौरान करोड़ों लोगों को भूख और गरीबी से बचाया। यह योजना इस बात का प्रमाण है कि संकट के समय में एक मजबूत सामाजिक सुरक्षा तंत्र कितना महत्वपूर्ण हो सकता है। PMGKY ने न केवल लोगों को तात्कालिक राहत दी, बल्कि यह भविष्य के संकटों से निपटने के लिए एक मॉडल भी प्रस्तुत करती है। यह योजना इस बात का भी प्रतीक है कि भारत सरकार अपने नागरिकों, विशेषकर कमजोर वर्गों की देखभाल के लिए प्रतिबद्ध है।

Leave a Comment