असालिया, जिसे गार्डन क्रेस (Garden Cress) और हिंदी में हालम/हालीम या चंद्रसूर के नाम से भी जाना जाता है, एक तेजी से बढ़ने वाली और औषधीय गुणों से भरपूर फसल है। इसकी पत्तियां सलाद और सूप में उपयोग होती हैं, और इसके बीज (हालम के बीज) भी स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। यह खेती कम समय में तैयार हो जाती है और किसानों के लिए अच्छा मुनाफा दे सकती है। असालिया की खेती के लिए एक विस्तृत मार्गदर्शिका (स्टेप-बाय-स्टेप गाइड) यहाँ दी गई है:
जलवायु और मिट्टी (Climate and Soil)
- जलवायु: असालिया ठंडी से मध्यम जलवायु में सबसे अच्छी तरह से बढ़ती है।
- यह हल्की ठंड़ को सहन कर सकती है, लेकिन बहुत अधिक गर्मी या पाला इसकी वृद्धि को प्रभावित कर सकता है।
- बुवाई का समय: इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा समय शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) या वसंत ऋतु (मार्च-अप्रैल) है, जब मौसम उपयुक्त होता है।
- मिट्टी: यह लगभग सभी तरह की मिट्टी में उग सकती है, लेकिन अच्छी जल निकासी वाली रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उत्तम होती है।
- मिट्टी का pH मान 6.0 से 7.0 के बीच होना चाहिए।
खेत की तैयारी (Field Preparation)
- खेत को अच्छी तरह से जोतकर मिट्टी को भुरभुरा बना लें।
- खाद: आखिरी जुताई के समय, खेत में प्रति एकड़ 8 से 10 टन अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद (Farmyard Manure) या कम्पोस्ट मिट्टी में मिला दें। यह मिट्टी की उर्वरता और जलधारण क्षमता को बढ़ाता है।
बुवाई (Sowing)
- बीज की मात्रा: एक एकड़ खेत के लिए आवश्यक बीज की मात्रा फसल के उद्देश्य पर निर्भर करती है।
- बुवाई का तरीका:
- बीजों को छिड़काव विधि (Broadcasting) से पूरे खेत में बिखेर कर बोया जा सकता है।
- या, इन्हें 30-40 सेंटीमीटर की दूरी पर बनी पंक्तियों (Rows) में भी बोया जा सकता है।
- गहराई: बीजों को मिट्टी में 1 से 2 सेंटीमीटर की गहराई पर बोना चाहिए।
- अंकुरण: असालिया के बीज आमतौर पर 3 दिन में अंकुरित होना शुरू हो जाते हैं।
सिंचाई और उर्वरक (Irrigation and Fertilizers)
- सिंचाई: असालिया को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, खासकर बुवाई के तुरंत बाद और जब पौधे बढ़ रहे हों।
- बुवाई के तुरंत बाद हल्की सिंचाई करें, ताकि मिट्टी में नमी बनी रहे।
- मिट्टी में नमी बनाए रखने के लिए, खासकर शुष्क मौसम में, नियमित रूप से सिंचाई करें। इसकी खेती में ड्रिप सिंचाई पद्धति को भी अपनाया जा सकता है, जो पानी की बचत करती है।
- उर्वरक: असालिया की फसल की अवधि छोटी होने के कारण, इसमें बहुत अधिक उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है।
- बुवाई के समय डीएपी (DAP) की हल्की मात्रा दी जा सकती है।
- जरूरत पड़ने पर और फसल की अच्छी वृद्धि के लिए, थोड़ी मात्रा में यूरिया (नाइट्रोजन) दो बार दिया जा सकता है।
खरपतवार नियंत्रण (Weed Control)
- अन्य फसलों की तरह असालिया में भी खरपतवार (Weeds) उगते हैं।
- जब फसल लगभग एक महीने की हो जाए, तो खरपतवारों को उखाड़कर या निराई करके हटा देना चाहिए। समय पर खरपतवार नियंत्रण करना उपज के लिए महत्वपूर्ण है।
कटाई (Harvesting)
असालिया की कटाई इस बात पर निर्भर करती है कि आप पत्तियों या बीज में से क्या चाहते हैं:
| उद्देश्य | कटाई का समय (बुवाई के बाद) | कटाई का तरीका |
| पत्तियां (Leaves/साग) | 30 से 45 दिन बाद जब पत्तियां अच्छी तरह विकसित हो जाएं। | पत्तियों को तने के पास से कैंची या चाकू से काट लें। 2 से 3 बार कटाई की जा सकती है। |
| बीज (Seeds/हालम) | जब पौधे पूरी तरह से पक जाएं (लगभग 2.5 से 3.5 महीने)। | पूरे पौधे को सूखने पर काटकर, बीजों को धूप में सुखाकर अलग कर लिया जाता है। |
फसल चक्र (Crop Rotation)
- अच्छी फसल पैदावार बनाए रखने के लिए फसल चक्र (Crop Rotation) अपनाना महत्वपूर्ण है।
- अगर आपने पिछले साल खेत में असालिया बोया था, तो इस साल उस खेत में यह फसल न बोएं। एक ही फसल को बार-बार बोने से मिट्टी की उर्वरता प्रभावित होती है और पैदावार घटती है।
असालिया की खेती कम समय में तैयार होने वाली, लाभदायक और आसान खेती है, जिससे किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं।