भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहाँ कृषि ही अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। लेकिन, भारतीय कृषि के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिंचाई की अपर्याप्त और अनियमित उपलब्धता रही है। देश का एक बड़ा कृषि क्षेत्र अभी भी मानसून पर निर्भर है, जिससे किसानों को अनिश्चितता और कम उत्पादकता का सामना करना पड़ता है। इसी समस्या के समाधान के लिए, भारत सरकार ने 1 जुलाई 2015 को महत्वाकांक्षी ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana – PMKSY) की शुरुआत की।
PMKSY का मुख्य उद्देश्य खेत के स्तर पर सिंचाई में निवेश को बढ़ावा देना, सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना (जिसका आदर्श वाक्य “हर खेत को पानी” है), और पानी के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करना है (जिसका आदर्श वाक्य “प्रति बूंद अधिक फसल” है)। यह योजना केवल सिंचाई के बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ही ध्यान केंद्रित नहीं करती, बल्कि जल संरक्षण, जल प्रबंधन और वितरण प्रणाली में सुधार पर भी समान रूप से जोर देती है।
योजना के व्यापक उद्देश्य
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उद्देश्य केवल पानी पहुंचाना नहीं, बल्कि कृषि में जल के उपयोग की पूरी श्रृंखला को एकीकृत और कुशल बनाना है। इसके मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- निवेश का अभिसरण: क्षेत्र स्तर पर सिंचाई में किए जा रहे सभी निवेशों को एक साथ लाना और जिलों के लिए व्यापक जल उपयोग योजनाएँ तैयार करना।
- सिंचाई क्षेत्र का विस्तार (“हर खेत को पानी”): यह सुनिश्चित करना कि हर खेत तक पानी की भौतिक पहुँच हो और सुनिश्चित सिंचाई के तहत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार किया जा सके।
- जल उपयोग दक्षता में सुधार (“प्रति बूंद अधिक फसल”): ऑन-फ़ार्म जल उपयोग दक्षता को बढ़ाना, जिससे पानी की बर्बादी कम हो और उपलब्धता (अवधि और सीमा दोनों में) में वृद्धि हो। इसके लिए सूक्ष्म सिंचाई और अन्य जल-बचत प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना।
- जल स्रोतों का निर्माण: छोटे और बड़े सिंचाई स्रोतों का निर्माण करना, पारंपरिक जल निकायों की मरम्मत और नवीनीकरण करना, और वर्षा जल संचयन संरचनाएँ बनाना।
- वर्षा सिंचित क्षेत्रों का एकीकृत विकास: मृदा और जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण, और अपवाह को रोकने के लिए वाटरशेड दृष्टिकोण का उपयोग करके वर्षा सिंचित क्षेत्रों का एकीकृत विकास सुनिश्चित करना।
- जागरूकता और निजी निवेश: किसानों और जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं के लिए जल प्रबंधन और फसल संरेखण से संबंधित विस्तार गतिविधियों को बढ़ावा देना और सिंचाई में अधिक निजी निवेश आकर्षित करना।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के प्रमुख घटक
PMKSY एक एकीकृत योजना है, जिसे तीन मंत्रालयों/विभागों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है। इसके चार प्रमुख घटक हैं:
1. त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (Accelerated Irrigation Benefit Programme – AIBP)
(जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा कार्यान्वित)
- उद्देश्य: मुख्य और मध्यम सिंचाई परियोजनाओं को प्राथमिकता के आधार पर पूरा करना जो लंबे समय से लंबित हैं।
- यह घटक ‘हर खेत को पानी’ के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बड़े जल स्रोतों और वितरण नेटवर्क के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करता है।
- लंबित परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।
2. हर खेत को पानी (HKKP)
(जल शक्ति मंत्रालय के जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग द्वारा कार्यान्वित)
- उद्देश्य: सिंचाई कवरेज का विस्तार करना और प्रत्येक खेत तक पानी की सुनिश्चित पहुँच प्रदान करना।
- गतिविधियाँ:
- लघु सिंचाई: सतही और भूजल दोनों के माध्यम से नए जल स्रोतों का निर्माण।
- जल निकायों की मरम्मत, जीर्णोद्धार और नवीनीकरण (RRR): पारंपरिक जल स्रोतों की वहन क्षमता को मजबूत करना।
- कमांड क्षेत्र विकास (CAD): स्रोत से खेत तक वितरण नेटवर्क को मजबूत करना और उसका निर्माण करना।
- भूजल विकास: उन क्षेत्रों में भूजल विकास को बढ़ावा देना जहाँ यह प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
3. प्रति बूंद अधिक फसल (Per Drop More Crop – PDMC)
(कृषि और किसान कल्याण विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित)
- उद्देश्य: ऑन-फ़ार्म जल उपयोग दक्षता को अधिकतम करना और पानी की बचत वाली प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
- सूक्ष्म सिंचाई पर जोर:
- ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation): पौधों की जड़ों तक सीधे और नियंत्रित मात्रा में पानी पहुँचाना, जिससे पानी की 40-60% तक बचत होती है।
- स्प्रिंकलर सिंचाई (Sprinkler Irrigation): वर्षा की तरह पानी का छिड़काव करना, जो समतल और विषम दोनों तरह की ज़मीनों के लिए उपयुक्त है।
- किसानों को इन प्रणालियों को अपनाने के लिए सब्सिडी प्रदान की जाती है। छोटे और सीमांत किसानों के लिए सहायता का प्रतिशत अधिक होता है।
- अन्य हस्तक्षेप: जल-बचत तकनीकों, जल उठाने वाले उपकरणों (पंपसेट), जल संचयन और जल प्रबंधन से संबंधित विस्तार गतिविधियों को बढ़ावा देना।
4. वाटरशेड विकास (Watershed Development)
(ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विभाग द्वारा कार्यान्वित)
- उद्देश्य: मृदा और जल संरक्षण, भूजल पुनर्भरण और अपवाह को नियंत्रित करने के लिए वाटरशेड दृष्टिकोण का उपयोग करके वर्षा सिंचित क्षेत्रों का विकास करना।
- गतिविधियाँ: रिज क्षेत्र उपचार, जल निकासी लाइन उपचार, वर्षा जल संचयन संरचनाओं (जैसे चेक डैम, फार्म तालाब) का निर्माण, और इन-सीटू नमी संरक्षण।
- यह घटक वर्षा-सिंचित क्षेत्रों में भूमि की उत्पादकता और पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
योजना की कार्यप्रणाली और वित्तीय सहायता
योजना वास्तुकला
PMKSY विकेन्द्रीकृत राज्य स्तरीय योजना और परियोजना निष्पादन की संरचना को अपनाती है।
- जिला सिंचाई योजना (DIP): प्रत्येक जिले को अपने जल स्रोतों, वितरण नेटवर्क और जल उपयोग के अनुप्रयोगों को एकीकृत करते हुए एक समग्र विकासात्मक परिप्रेक्ष्य के साथ एक जिला सिंचाई योजना तैयार करनी होती है।
- राज्य सिंचाई योजना (SIP): सभी DIPs को एक साथ मिलाकर राज्य सिंचाई योजना (SIP) तैयार की जाती है।
- राष्ट्रीय संचालन समिति (NSC): योजना की निगरानी और पर्यवेक्षण प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली एक अंतर-मंत्रालयी राष्ट्रीय संचालन समिति द्वारा किया जाता है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का प्रभाव और महत्व
PMKSY का भारतीय कृषि पर बहुआयामी और दूरगामी प्रभाव पड़ा है:
1. जल उपयोग दक्षता में क्रांतिकारी सुधार
सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों के व्यापक रूप से अपनाने से पारंपरिक बाढ़ सिंचाई की तुलना में पानी की भारी बचत हुई है। ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के दृष्टिकोण ने किसानों को कम पानी में अधिक उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया है, जिससे देश के जल-तनाव वाले क्षेत्रों में कृषि की स्थिरता बढ़ी है।
2. उत्पादकता और आय में वृद्धि
सुनिश्चित सिंचाई से किसानों को उन्नत बीज और उर्वरकों में निवेश करने का प्रोत्साहन मिला है, जिससे फसल की उत्पादकता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पानी की बचत से खेती की लागत कम हुई है और बेहतर उपज से किसानों की शुद्ध आय में वृद्धि हुई है।
3. पर्यावरणीय स्थिरता
वाटरशेड विकास और जल संचयन संरचनाओं के निर्माण से भूजल पुनर्भरण में सहायता मिली है और मिट्टी के कटाव को नियंत्रित किया गया है। यह प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देता है।
4. फसल विविधीकरण
सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों की उपलब्धता ने किसानों को गन्ना, केला, फल और सब्जियां जैसे उच्च-मूल्य वाली जल-गहन फसलों की खेती करने में सक्षम बनाया है, जहाँ पहले सिंचाई की कमी एक बाधा थी।
5. सामाजिक और आर्थिक लाभ
योजना ने विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को लाभान्वित किया है, जिनकी देश की कृषि में भागीदारी सबसे अधिक है। उन्हें पर्याप्त सब्सिडी मिलने से वे आधुनिक तकनीक अपना पाए हैं।
चुनौतियाँ और आगे की राह
PMKSY एक सफल योजना रही है, लेकिन इसकी पूर्ण क्षमता को प्राप्त करने के लिए कुछ चुनौतियों का समाधान आवश्यक है:
- जागरूकता का अभाव: विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में, कई छोटे किसानों को सूक्ष्म सिंचाई के लाभों और उपलब्ध सब्सिडी योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी नहीं है।
- कार्यान्वयन की गति: सिंचाई परियोजनाओं के क्रियान्वयन में भूमि अधिग्रहण, धन की उपलब्धता और अंतर-विभागीय समन्वय में देरी होती है।
- शुरुआती उच्च लागत: सब्सिडी के बावजूद, ड्रिप/स्प्रिंकलर सिस्टम की शुरुआती स्थापना लागत छोटे किसानों के लिए अभी भी एक बाधा हो सकती है।
- भूजल का अत्यधिक उपयोग: सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के साथ, कुछ क्षेत्रों में भूजल के अत्यधिक उपयोग पर प्रभावी विनियमन आवश्यक है।
आगे की राह:
- सरलीकृत प्रक्रिया: आवेदन और सब्सिडी वितरण की प्रक्रियाओं को और अधिक सरल बनाना।
- डिजिटल विस्तार: किसानों को जल प्रबंधन, फसल संरेखण और नई तकनीकों पर शिक्षित करने के लिए आईसीटी (सूचना और संचार प्रौद्योगिकी) का व्यापक उपयोग।
- सामुदायिक भागीदारी: जल निकायों के स्थायी प्रबंधन और रखरखाव के लिए किसान समूहों और जल उपयोगकर्ता संघों की भागीदारी को मजबूत करना।
- सौर ऊर्जा का एकीकरण: सिंचाई के लिए सौर पंपों को बढ़ावा देना, जिससे किसानों की बिजली पर निर्भरता कम हो सके और लागत में बचत हो।
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PMKSY (PDMC घटक) के तहत आवेदन क्यों करें?
पारंपरिक बाढ़ सिंचाई (Flood Irrigation) में पानी की भारी बर्बादी होती है, जिससे फसल की उत्पादकता कम होती है। PMKSY के तहत सूक्ष्म सिंचाई (Micro Irrigation) को अपनाने के मुख्य लाभ इस प्रकार हैं:
- पानी की भारी बचत: ड्रिप सिंचाई से 40% से 60% और स्प्रिंकलर से 25% से 35% तक पानी की बचत होती है।
- उत्पादकता में वृद्धि: पौधों को उनकी आवश्यकतानुसार पानी और उर्वरक सीधे जड़ों में मिलते हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता और उपज में 30% से 50% तक वृद्धि होती है।
- उर्वरक की बचत: ड्रिप सिस्टम के माध्यम से उर्वरक देने (फर्टिगेशन) से 25% से 30% तक उर्वरक की बचत होती है।
- श्रम और ऊर्जा लागत में कमी: सिंचाई के लिए कम श्रम की आवश्यकता होती है और पंप चलाने में कम ऊर्जा खर्च होती है।
- सरकारी सब्सिडी: आधुनिक सिंचाई प्रणालियों की उच्च लागत को कम करने के लिए सरकार बड़ी मात्रा में वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
PMKSY (सूक्ष्म सिंचाई) के लिए पात्रता मानदंड
PMKSY के ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ घटक का लाभ उठाने के लिए किसान को निम्नलिखित शर्तें पूरी करनी होंगी:
- नागरिकता: आवेदक भारत का नागरिक होना चाहिए।
- किसान वर्ग: योजना का लाभ सभी किसान वर्ग (छोटे, सीमांत और बड़े किसान) उठा सकते हैं।
- सिंचाई की आवश्यकता: किसान के पास सिंचाई की सुविधा होनी चाहिए या वह नई प्रणाली के लिए पानी का स्रोत (जैसे ट्यूबवेल, कुआँ, तालाब) विकसित करने की योजना बना रहा हो।
- भूमि का स्वामित्व: आवेदक के पास कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए। बटाईदार या पट्टे पर खेती करने वाले किसान भी कुछ राज्यों में विशिष्ट प्रावधानों के तहत पात्र हो सकते हैं, लेकिन भूमि के दस्तावेज़ की आवश्यकता होती है।
- अधिकतम सीमा: प्रति किसान/लाभार्थी को अधिकतम 5 हेक्टेयर भूमि तक ही सब्सिडी का लाभ दिया जाता है।
- अनिवार्य शर्त: इस योजना के तहत केवल BIS (भारतीय मानक ब्यूरो) चिह्नित उपकरणों या प्रणालियों को ही खरीदने पर सब्सिडी मिलती है।
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज़ों की सूची
आवेदन प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए किसानों को निम्नलिखित दस्तावेज़ तैयार रखने चाहिए:
- पहचान प्रमाण (Identity Proof):
- आधार कार्ड (Aadhaar Card) – अनिवार्य।
- निवास प्रमाण (Address Proof):
- आधार कार्ड या निवास प्रमाण पत्र (डोमिसाइल सर्टिफिकेट)।
- कृषि भूमि के दस्तावेज़ (Land Records):
- खसरा/खतौनी या जमाबंदी की प्रति (भूमि के स्वामित्व का प्रमाण)।
- 7/12 का उद्धरण (भूमि रिकॉर्ड)।
- सिंचाई के लिए पानी के स्रोत का प्रमाण (यदि उपलब्ध हो)।
- बैंक विवरण (Bank Details):
- बैंक पासबुक के पहले पृष्ठ की प्रति (जिसमें खाता संख्या, IFSC कोड और नाम स्पष्ट हो)। यह इसलिए आवश्यक है क्योंकि सब्सिडी की राशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है।
- पासपोर्ट साइज फोटो: आवेदक की हालिया पासपोर्ट साइज फोटो।
- जाति प्रमाण पत्र (केवल लागू होने पर): अनुसूचित जाति (SC)/अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) से संबंधित होने पर, क्योंकि इन वर्गों के लिए कुछ राज्यों में अतिरिक्त टॉप-अप सब्सिडी का प्रावधान हो सकता है।
- घोषणा पत्र (Declaration Form): यह प्रमाणित करने के लिए कि किसान ने पिछले 7 वर्षों में किसी अन्य समान योजना का लाभ नहीं लिया है (विशिष्ट राज्यों के नियमों के अनुसार)।
PMKSY के लिए आवेदन करने की विस्तृत प्रक्रिया (Online & Offline)
PMKSY के तहत आवेदन प्रक्रिया मुख्यतः राज्य सरकारों द्वारा संचालित की जाती है। अधिकांश राज्यों में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके उपलब्ध हैं।
1. ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया (Online Application)
अधिकांश राज्यों ने सूक्ष्म सिंचाई के लिए आवेदन हेतु समर्पित ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किए हैं।
- कदम 1: राज्य पोर्टल पर जाएँ: किसान को अपने राज्य के कृषि विभाग/बागवानी विभाग के आधिकारिक पोर्टल (जैसे – DBT Agriculture Portal या राज्य सरकार का PMKSY पोर्टल) पर जाना होगा।
- कदम 2: पंजीकरण (Registration): यदि आप पहले से पंजीकृत नहीं हैं, तो ‘किसान पंजीकरण’ विकल्प पर क्लिक करें। यहाँ आपको आधार नंबर, बैंक खाता विवरण और मोबाइल नंबर दर्ज करके पंजीकरण करना होगा।
- कदम 3: योजना का चयन: पंजीकरण के बाद, ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ या ‘सूक्ष्म सिंचाई योजना’ के विकल्प का चयन करें।
- कदम 4: आवेदन पत्र भरना: आवेदन पत्र में मांगी गई सभी जानकारी (जैसे – किसान का नाम, पता, भूमि का विवरण, सिंचाई प्रणाली का प्रकार – ड्रिप/स्प्रिंकलर, क्षेत्रफल) ध्यानपूर्वक भरें।
- कदम 5: दस्तावेज़ अपलोड करना: आवश्यक दस्तावेज़ों (आधार कार्ड, भूमि रिकॉर्ड, बैंक पासबुक की प्रति) को स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड करें।
- कदम 6: आवेदन जमा करना: सभी विवरणों की जाँच करने के बाद आवेदन जमा करें और भविष्य के संदर्भ के लिए पंजीकरण संख्या/रसीद प्रिंट कर लें।
2. ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया (Offline Application)
जो किसान ऑनलाइन आवेदन करने में सहज नहीं हैं, वे ऑफलाइन माध्यम चुन सकते हैं:
- कदम 1: संपर्क सूत्र: किसान अपने क्षेत्र के ब्लॉक/जिला कृषि अधिकारी कार्यालय, बागवानी विभाग कार्यालय, या निकटतम कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) से संपर्क करें।
- कदम 2: आवेदन फॉर्म प्राप्त करना: संबंधित अधिकारी से PMKSY का आवेदन फॉर्म प्राप्त करें।
- कदम 3: फॉर्म भरना और संलग्न करना: फॉर्म को ध्यानपूर्वक भरें और ऊपर सूचीबद्ध सभी आवश्यक दस्तावेज़ों की स्व-सत्यापित प्रतियां संलग्न करें।
- कदम 4: जमा करना और रसीद लेना: भरे हुए फॉर्म को संबंधित अधिकारी के पास जमा करें और जमा करने की रसीद (Acknowledgement) अवश्य प्राप्त करें।
Khet Talab Yojana 2025: खेत तालाब योजना – सब्सिडी और आवेदन की पूरी जानकारी
PMKSY (PDMC) के तहत सब्सिडी का विवरण
सब्सिडी की राशि किसान की श्रेणी और राज्य सरकार के ‘टॉप-अप’ अनुदान पर निर्भर करती है। केंद्र सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार सब्सिडी का मूल पैटर्न निम्नलिखित है:
| किसान वर्ग | केंद्र और राज्य द्वारा वहन की जाने वाली कुल सब्सिडी (मूल दर) | केंद्र और राज्य के बीच हिस्सेदारी (सामान्य राज्य) | केंद्र और राज्य के बीच हिस्सेदारी (उत्तर-पूर्वी और हिमालयी राज्य) |
| छोटे एवं सीमांत किसान | 55% तक | 60% केंद्र : 40% राज्य | 90% केंद्र : 10% राज्य |
| अन्य किसान | 45% तक | 60% केंद्र : 40% राज्य | 90% केंद्र : 10% राज्य |
महत्वपूर्ण बिंदु:
- टॉप-अप सब्सिडी: कई राज्य सरकारें (जैसे बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु) अपने किसानों को अतिरिक्त राज्य टॉप-अप सब्सिडी प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, कुछ राज्यों में छोटे और सीमांत किसानों के लिए कुल सब्सिडी 80% या 90% तक भी जा सकती है।
- डीलर/कंपनी का चयन: आवेदन स्वीकृत होने के बाद, किसान को योजना के तहत पंजीकृत किसी मान्यता प्राप्त कंपनी/डीलर से ही सिंचाई प्रणाली खरीदनी होती है।
- इंस्टालेशन और सत्यापन: कंपनी इंस्टालेशन का काम पूरा करेगी। इसके बाद, कृषि/बागवानी विभाग के अधिकारी खेत का भौतिक सत्यापन करते हैं।
- सब्सिडी का भुगतान: सत्यापन सफल होने के बाद, किसान के हिस्से का भुगतान कंपनी को करने के उपरांत, सब्सिडी की राशि सीधे किसान के बैंक खाते में DBT के माध्यम से हस्तांतरित कर दी जाती है।
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सफल आवेदन के लिए सुझाव
PMKSY का अधिकतम लाभ उठाने और आवेदन को अस्वीकृत होने से बचाने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:
- नियमों की जाँच करें: अपने राज्य के कृषि/बागवानी विभाग की वेबसाइट पर नवीनतम दिशानिर्देश और सब्सिडी दरें अनिवार्य रूप से जाँच लें, क्योंकि राज्य-वार टॉप-अप सब्सिडी भिन्न हो सकती है।
- दस्तावेज़ अपडेट रखें: सुनिश्चित करें कि आपके आधार कार्ड में मोबाइल नंबर अपडेट है और बैंक खाता सक्रिय है। भूमि के रिकॉर्ड (खसरा/खतौनी) स्पष्ट और नाम पर होने चाहिए।
- गुणवत्ता पर ध्यान दें: केवल BIS (भारतीय मानक ब्यूरो) मुहर वाले उच्च-गुणवत्ता वाले ड्रिप/स्प्रिंकलर सिस्टम ही खरीदें।
- टोल-फ्री नंबर का उपयोग: किसी भी प्रश्न या समस्या के लिए, किसान कॉल सेंटर (टोल-फ्री नंबर: 1800-180-1551) पर संपर्क किया जा सकता है।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना भारत की कृषि क्रांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह योजना न केवल किसानों को पानी की सुरक्षा प्रदान करती है, बल्कि उन्हें जल-कुशल और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाने के लिए भी प्रोत्साहित करती है। ‘हर खेत को पानी’ और ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ के दोहरे लक्ष्य के साथ, PMKSY भारतीय कृषि को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से बचाने, ग्रामीण समृद्धि लाने और देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। एक सुदृढ़ सिंचाई बुनियादी ढांचे के साथ, यह योजना निश्चित रूप से भारतीय किसानों को एक उज्जवल और अधिक उत्पादक भविष्य की ओर ले जाएगी।