Property New Rules India : प्रॉपर्टी के नियमों में हुआ बहुत बड़ा बदलाव, जानें 5 मुख्य सुधार

भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने प्रॉपर्टी के लेनदेन (Transactions), पंजीकरण (Registration) और स्वामित्व (Ownership) से जुड़े नियमों को आधुनिक बनाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। ये बदलाव 2025 में प्रमुखता से लागू हो रहे हैं।

1. पूरी तरह डिजिटल रजिस्ट्री प्रक्रिया (Mandatory Digital Registration)

यह सबसे बड़ा बदलाव है जो ज़मीन और मकान की खरीद-बिक्री को हमेशा के लिए बदल देगा।

  • पुराने कानून का अंत: “रजिस्ट्रेशन बिल 2025” (Registration Bill 2025) के माध्यम से 1908 के पुराने रजिस्ट्रेशन एक्ट को बदलने का प्रस्ताव है।
  • ऑनलाइन पंजीकरण: अब प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन (Paperless) और डिजिटल बनाया जा रहा है।
  • आधार-आधारित सत्यापन (Aadhaar-Based Verification): धोखाधड़ी रोकने के लिए प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री को आधार कार्ड से लिंक करना अनिवार्य किया जा रहा है, जिससे खरीदार और विक्रेता की पहचान पुख्ता हो सकेगी।
  • डिजिटल रिकॉर्ड: रजिस्ट्री पूरी होने के बाद, डिजिटल हस्ताक्षर (Digital Signature) वाली कॉपी सरकारी पोर्टल पर उपलब्ध होगी, जिसे कभी भी डाउनलोड किया जा सकेगा।

2. महिलाओं के पैतृक संपत्ति अधिकार मजबूत (Strengthened Women’s Property Rights)

पैतृक संपत्ति (Ancestral Property) के नियमों में आए बदलावों ने लैंगिक समानता (Gender Equality) को बढ़ावा दिया है।

  • समान अधिकार: सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेटी और बेटा दोनों को पैतृक संपत्ति में समान हिस्सा पाने का अधिकार है, चाहे बेटी विवाहित हो या अविवाहित।
  • एकमात्र वारिस नहीं: अब पिता अपनी पूरी संपत्ति केवल एक बेटे को नहीं दे सकते; सभी वैधानिक वारिसों (Statutory Heirs) को समान अधिकार प्राप्त होंगे।
  • ST महिलाओं के अधिकार: अनुसूचित जनजाति (ST) की महिलाओं को भी अब अपनी पैतृक संपत्ति में समान हिस्सेदारी का अधिकार दिया गया है।

3. ‘सिर्फ कब्ज़ा’ मान्य नहीं, रजिस्ट्री अनिवार्य (Registration is Mandatory, Possession is Not Enough)

सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है जो संपत्ति के मालिकाना हक को लेकर भ्रम को खत्म करता है।

  • विक्रय पत्र (Sale Deed) का पंजीकरण: कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सिर्फ कब्ज़ा (Possession) सौंप देने या पैसे का भुगतान कर देने से ही संपत्ति का मालिकाना हक (Ownership) ट्रांसफर नहीं हो जाता।
  • कानूनी वैधता: ₹100 से अधिक मूल्य की किसी भी अचल संपत्ति (Immovable Property) का विक्रय केवल तभी वैध माना जाएगा जब उसका विक्रय पत्र विधिवत रूप से पंजीकृत (Duly Registered) हो।

4. किरायेदारी कानून में बदलाव (New Tenancy Law)

किरायेदार (Tenant) और मकान मालिक (Landlord) के संबंधों को नियंत्रित करने के लिए नए नियम लागू किए जा रहे हैं।

  • रेंट एग्रीमेंट का पंजीकरण: रेंट एग्रीमेंट (Rent Agreement) को पंजीकृत (Registered) कराना अनिवार्य किया गया है। अपंजीकृत एग्रीमेंट कानूनी रूप से मान्य नहीं माना जाएगा।
  • सुरक्षा जमा (Security Deposit) सीमा: मकान मालिक अधिकतम दो महीने के किराए तक ही सुरक्षा जमा (सिक्योरिटी डिपॉजिट) ले सकेंगे।
  • किराया बढ़ाना: मकान मालिक को किराया बढ़ाने के लिए किरायेदार को 90 दिन पहले लिखित नोटिस देना अनिवार्य होगा।

5. टाइटल गारंटी सिस्टम पर फोकस (Focus on Title Guarantee)

संपत्ति के स्पष्ट और विवाद रहित स्वामित्व (Clear and Dispute-Free Ownership) के लिए सुधार लाए जा रहे हैं।

  • यूनिफॉर्म टाइटल सर्टिफिकेशन: सरकार एक समान टाइटल सर्टिफिकेशन सिस्टम लागू करने की दिशा में काम कर रही है, जिसके तहत सरकार द्वारा समर्थित गारंटीड टाइटल सर्टिफिकेट जारी किए जाएंगे। इससे खरीदारों को स्वामित्व की गारंटी मिलेगी और संपत्ति विवादों में कमी आएगी।
  • 30 दिन में रजिस्ट्रेशन: कई राज्यों में संपत्ति हस्तांतरण, बिक्री या गिफ्ट को 30 दिन के भीतर स्थानीय सब-रजिस्ट्रार के पास पंजीकृत कराना अनिवार्य किया गया है।

ये नए नियम प्रॉपर्टी बाजार में भरोसा (Trust) और पारदर्शिता (Transparency) लाने के लिए उठाए गए महत्वपूर्ण कदम हैं।

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